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आचरण एवं अनुशासन
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1. जब तक नियुक्ति के आदेश में स्पष्ट रूप से अन्य व्यवस्था न दी गई हो, कर्मचारी का संपूर्ण समय संस्थान के अधीन रहेगा और वह संस्थान के कार्य संपादन में ऐसी हैसियत से और ऐसी अवधि के दौरान तथा ऐसे स्थान पर सेवा करेगा, जैसा उसे समय-समय पर निर्देश दिया जाय।
2. संस्थान का प्रत्येक कर्मचारी नियमों के अधीन निदेशक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये आदेशों का पालन करेगा।
1. कोई कर्मचारी किसी अन्य व्यक्ति को संस्थान के कार्यों से संबंधित गोपनीय बातें नहीं बतायेगा अथवा किसी प्रकार की कार्य संबंधी गोपनीय सूचना, जो सेवायोजन के दौरान उसके कब्जे या जानकारी में आयी हो, प्रकट नहीं करेगा।
प्रतिबन्ध यह है कि कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारी की अनुज्ञा से केवल उतनी सूचना प्रसारित कर सकता है, जितनी किसी समक्ष प्राधिकारी द्वारा विवाद के निस्तारण या जॉच करने, अन्वेषण करने या लेखा परीक्षा करने या किसी विधि न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये जाने के लिये अपेक्षित हो।
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2. प्रत्येक कर्मचारी को यह परिवचन या शपथ देना होगा कि वह उक्त उपनियम संख्या
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(1) में यथा निर्धारित गोपनीयता बनाये रखेगा और ऐसा न करने पर उसके विरूद्ध प्रशासनिक कार्यवाही की जायेगी।
1. प्रत्येक कर्मचारी संस्थान की सेवा ईमानदारी और निष्ठा से करेगा और संस्थान की उन्नति के लिये अधिकतम प्रयास करेगा। वह अपने सहयोगियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शिष्टता का व्यवहार करेगा और अपने कर्तव्यों पर ध्यान देगा।
2. किसी क्षेत्र में उस समय मादक पेयों या द्रव्यों से संबंधित किसी विधि के उपबंधों के प्रचलित रहते हुये संस्थान का कोई भी कर्मचारी -
क. जब वह कार्य पर हो, ऐसे पेय या द्रव्य के सेवन के प्रभाव में न होगा, जो मादक हो।
ख्. यात्रा की स्थिति में तथा किसी सार्वजनिक स्थान पर भी मादक द्रव्यों का उपभोग नहीं करेगा।
ग. ऐसे पेय या द्रव्य का अभ्यासतः भी प्रयोग नहीं करेगा।
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3. संस्थान का कोई भी कर्मचारी
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क. संस्थान के भू-गृहादि के भीतर उच्छृंख्ल या अशोभनीय व्यवहार नहीं करेग, बाजी नहीं लगायेगा, या कोई ऐसा कोई नहीं करेगा, जिससे संस्थान की प्रतिष्ठा को धक्का लगे अथवा उसके कार्य में अव्यवस्था उत्पन्न हो।
ख. संस्थान की सम्पत्ति को न तो क्षति पहुँचायेगा और न क्षति पहुँचाने का प्रयास करेगा।
ग. किसी भी कर्मचारी को दुराचरण करने, धन का अपहरण करने या कर्तव्यों का उल्लंघन करने के लिये प्रोत्साहित नहीं करेगा।
घ. संस्थान से लिये गये ऋण या अग्रिम या अपने प्रभार या सुरक्षा के अधीन संस्थान की सम्पत्ति का दुरूपयोग नहीं करेगा और,
ड. निदेशक की अनुज्ञा के बिना संस्थान के परिसर के भीतर कोई बैठक न तो आयोजित करेगा और न उसमें उपस्थित होगा।
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4. संस्थान का कोई भी कर्मचारी राजनीतिक प्रदर्शन में भाग नहीं लेगा, न स्वयं को उससे सम्बद्ध रखेगा और न किसी निर्वाचन में किसी पक्ष का समर्थन करेगा या अन्य प्रकार से अपने प्रभाव का प्रयोग करेगा।
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5. कोई भी कर्मचारी संस्थान के कार्यकलाप के संबंध में निदेशक की पूर्व स्वीकृति के बिना समाचार पत्र में कोई वक्तव्य नहीं देगा और न समाचार पत्र अथवा पत्र-पत्रिकाओं में उस विषय में कोई लेख प्रसारित करायेगा। वह किन्ही भी व्यक्तिगत शिकायतों को समाचार पत्र या इश्तहारों के माध्यम से प्रसारित नहीं करेगा।
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6. कोई कर्मचारी निदेशक की लिखित पूर्व अनुज्ञा के बिना कोई भी बाहरी सेवा या पद चाहे वह वैतनिक अथवा अवैतनिक हो स्वीकार नहीं करेगा, न उसके लिये याचना करेगा और न उसे पाने की चेष्टा करेगा।
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7. कोई कर्मचारी निदेशक की पूर्व स्वीकृति के बिना अध्ययन के लिये किसी शैक्षिक संस्थान में प्रवेश नहीं लेगा।
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8. कोई कभी कर्मचारी निदेशक की अनुमति के बिना किसी भी अधीनस्थ कर्मचारी या ऐसे व्यक्ति से, जिसका संबंध संस्थान से हो, कोई उपहार या पारितोषिक की न तो याचना करेगा और न दिये जाने पर उसे स्वीकार करेगा।
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9. कोई भी कर्मचारी नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित पूर्व अनुज्ञा के बिना कहीं भी अपने लिये या अन्य व्यक्ति के अभिकर्ता के रूप में धन संबंधी लाभ के लिये व्यक्तिगत रूप से कोई कार्यकलाप नहीं करेगा।
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10.
क. कोई भी कर्मचारी निदेशक की अनुज्ञा के बिना अपने कार्य से अनुपस्थित नहीं रहेगा।
ख. यदि कोई भी कर्मचारी अवकाश के बिना अपने कार्य से अनुपस्थित रहता है या अपने अवकाश से अधिक रूकता है, उन परिस्थियों के अतिरिक्त जो उनके वश में न हो तो वह अपनी अनुपस्थिति का संतोषजनक लिखित स्पष्टीकरण अनिवार्यतः देगा। स्पष्टीकरण संतोषजनक न पाये जाने की दशा में उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जा सकेगी।
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11. कोई कर्मचारी संस्थान के कार्य के अतिरिक्त अपनी तैनाती के मुख्यालय से उस अधिकारी की अनुज्ञा के बिना, जिसके अधीक्षण अथवा नियंत्रण में वह कार्य करता हो, अनुपस्थित नहीं रहेगा।
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12. प्रत्येक कर्मचारी कार्यालय में समय पर उपस्थित होगा और उपस्थित रजिस्टर में हस्ताक्षर करेगा, जिसे नित्य निदेशक या ऐसे अधिकारी के समक्ष, जो इस प्रयोजनार्थ निदेशक द्वारा अधिकृत किया गया हो, प्रस्तुत किया जायेगा।
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13. संस्थान का कोई कर्मचारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में संस्थान की सम्पत्ति या उत्पादन के नीलाम में बोली नहीं लगायेगा।
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14. संस्थान का कोई कर्मचारी, जिसकी एक पत्नी या पति जीवित हो, दूसरा विवाह नहीं करेगा।
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15. किसी आपराधिक आरोप के संबंध में गिरफ्तार किया गया कोई कर्मचारी निलम्बित कर दिया जायेगा और वह निलम्बन उसकी गिरफ्तारी की दिनांक से प्रभावी होगा, परन्तु यदि वह जमानत या/मुचलके पर छोड़ दिया गया हो, तो उसे निदेशक के द्वारा उस समय तक, जब तक उसके विरूद्ध लगाये गये, आरोप पर न्यायालय में विचार हो रहा हो, पुनः कार्यभार ग्रहण करने तथा उस पर कार्य करते रहने की अनुज्ञा दी जा सकती है।
यदि कोई कर्मचारी किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता से सम्बद्ध किसी अपराध के लिये दोषी सिद्ध हो जाय, तो उसे पदच्युत(डिसमिस) कर दिया जायेगा।
आचरण संबंधी जिन अन्य बातों का स्पष्टतः प्राविधान नहीं किया गया है, उनके संबंध में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के लिये बनाई गई आचरण नियमावली के प्राविधान लागू माने जायेगें।